डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत अमेरिका संबंधों को तोड़ने के लिए एक नया कदम चला है ट्रंप ने भारत के ऊपर टैरिफ 50% तक बढ़ा दिए है। क्या होगा इसका भारत पर असर और क्यों डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत को टारगेट कर रहे हैं। क्या मोदी सरकार ट्रंप से डर गई?

ऊपरी दिखावे के लिए अमेरिका और ट्रंप द्वारा यह कदम इसलिए लिए जा रहे है क्योंकि भारत रूस से सस्ते दामों में कच्चा तेल खरीद रहा है। अमेरिका का मत है कि भारत द्वारा तेल लेने से रूस को पैसा मिल रहा है और रूस युद्ध खत्म नही कर रहा। अमेरिका कई दिनों से भारत पर यह दवाब डालने का प्रयास कर रहा है कि वो रूस से व्यापार बंद कर दे।

अगर इस पूरे मामले को गंभीरता से देखा जाए, तो अमेरिका का एक दूसरा चेहरा सामने आता है। यह निर्णय न सिर्फ भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में ऐतिहासिक तनाव पैदा कर रहे है बल्कि इनका असर वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरणों पर भी पड़ेगा।

डोनाल्ड ट्रंप की नीति के पीछे छुपा एजेंडा

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी प्रचार में यह बात को हमेशा दोहराया था कि उनके सत्ता में आते ही वो यूक्रेन और रूस का युद्ध ख़त्म करवा देंगे मगर वो ऐसा करने में असफल रहे। मज़बूरी में उन्हें भी पिछली बाइडेन सरकार की नीति अनुसार यूक्रेन की मदद करना शुरू करना पड़ा।

जबकि आज से कुछ महीने पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने वाइट हाउस के अंदर डोनाल्ड ट्रंप की बोलती बंद कर उनकी भारी बेज़्ज़ती की थी।

मगर जब डोनाल्ड ट्रंप को यह एहसास हुआ कि रूस उनकी एक नही सुनने वाला तो वो बौखला गए। अमेरिका के इतिहास में डोनाल्ड ट्रंप जैसा राष्ट्रपति नही हुआ। यह बात अब अमेरिकी लोग भी कह रहे है कि डोनाल्ड ट्रंप पूरी तरह से स्थिर नही है। यह बात बड़ी महत्पूर्ण है कि अमेरिका का राष्ट्रपति किस तरह का है क्योंकि उसके फैसले, टिप्पणियाँ और नजरिए का असर वैश्विक स्तर पर देखने को मिलता है।

वही डोनाल्ड ट्रंप के काम करने के तरीके और उनके बयानों को देखा जाए तो वो कभी भी कुछ भी कह देते है। डोनाल्ड ट्रंप एक उद्योगपति है और वो अपने राष्ट्रपति कार्यकाल में अमेरिका को एक व्यापार के रूप में ही देखते है और उनका उद्देश्य अमेरिका के घाटे को कम कर मुनाफ़ा कमाना है। उनका फोकस अपने “America First” ऐजेंडा पर है।

अमेरिकी दोगलापन: खुद रूस से खरीद, भारत को सजा।

डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि भारत को रूस से व्यापार कर उसे फायदा पहुँचा रहा है। उनके इस गणित के हिसाब से यूक्रेन में जो नुकसान हुआ उसके लिए भारत जिम्मेदार है। मगर यही अमेरिका का दोगलापन भी दिख जाता है जिसे भारत ने खुलकर एक्सपोज़ किया है। केवल भारत और चीन ही नही बल्कि अमेरिका और यूरोप के कई देश आज भी रूस से व्यापार कर रहे है।

अमेरिका खुद किन-किन चीजों की करता है खरीद?

भारत की तरह अमेरिका भी रूस से कई आवश्यक उत्पाद आयात करता है:

  • यूरनियम हेक्साफ्लोराइड (nuclear industry)
  • पैलेडियम (EV batteries)
  • फर्टिलाइजर्स (उर्वरक)
  • केमिकल्स

2024 में ही अमेरिका द्वारा रूस से पैलेडियम में 37%, यूरनियम में 28%, और फर्टिलाइज़र में 21% की वृद्धि दर्ज की गई।

अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और चीन—तीनों रूस से अरबों डॉलर का तेल, गैस, और अन्य कच्चे माल का व्यापार आज भी कर रहे हैं, पर टारगेट सिर्फ भारत को किया जा रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अस्वीकार्य” करार दिया है और अमेरिकी नीतियों को पाखंडी (hypocritical) बताया है।

अमेरिका के भारत विरोधी कदम।

1. भारत के ऊपर ज़्यादा टैरिफ।

डोनाल्ड ट्रंपने भारत पर पहले 25% टैरिफ की घोषणा की थी जिसे अब 50% कर दिया है। यह दरे 27 अगस्त से लागू होंगी। हालांकि अमेरिका ने पाकिस्तान के ऊपर 19%, बांग्लादेश के ऊपर 20% और वियतनाम में 20% सहित मलेशिया में 19% का टैरिफ लगाया है। यह साफ दिखाता है कि अमेरिका सीधे तौर पर भारत को टारगेट कर रहा है।

2. पाकिस्तान के साथ नज़दीकी।

पाकिस्तान को हमेशा अमेरिका के इशारों पर चलने वाला देश माना गया है। यही कारण है कि अमेरिका जैसे चाहता है थोड़ी सी भीख के नाम पर पाकिस्तान वैसा करने लग जाता है। पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने हाल में अमेरिका का दौरा किया था और बहुत जल्द वो एक दौरा और करने वाला है। डोनाल्ड ट्रंप भारत को टारगेट के चक्कर मे पाकिस्तान से करीबी बढ़ा रहे है। बदले में पाकिस्तान हमेशा की तरह अमेरिका के इशारों की कठपुतली बनने को तैयार है और यही वजह है कि पाकिस्तान ने डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पीस प्राइज़ के लिए नॉमिनेट किया है ताकि ट्रम्प के अहंकार को पूर्ण कर सकें।

भारत पर दबाव क्यों?

भारत के ऊपर दवाब के तीन मुख्य कारण है।

1. भारतीय कृषि बाजार में एंट्री की कोशिश।

अमेरिका यह बात जनता है कि भारत के तेजी से बढ़ते हुए निर्यात, युवा जनसंख्या और विशाल कृषि बाजार की संभावना है। अमेरिका चाहता है कि भारत अपने कृषि और ई-कॉमर्स बाजारों को अमेरिकी उत्पादों और जिस पर MNCs का कब्जा है, के लिए खोल दे।

अमेरिका लंबे समय से भारतीय कृषि, डेयरी व फूड प्रोसेसिंग बाजार तक औद्योगिक पैमाने पर पहुंच चाहता है। मगर यह चीज़ भारत के किसानों और स्थानीय बाजार की सुरक्षा के लिएहानिकारक साबित हो सकती है इस वजह से भारत सरकार से प्रतिरोध मिल रहा है जिससे ट्रम्प को नुकसान समझ आता है।

अमेरिकी कंपनियों—खासकर कृषि बहुराष्ट्रीय कंपनियों—को भारत में एंट्री दिलाने के लिए “टैरिफ वार” एक हथियार बनकर उभरा है।

2. यूक्रेन में है दुर्लभ खनिज।

एक रिपोर्ट अनुसार यूक्रेन की धरती में कई दुर्लभ खनिज मौजूद है। मगर ज्यादातर युद्ध वाले क्षेत्र और कुछ तो रूस के कब्जे में जा चुके है। मानवता और यूक्रेन में हो रही बर्बादी का हवाला देकर भारत पर जो अमेरिका टैरिफ लगा रहा है वो खुद यूक्रेन को अपने निजी फ़ायदे के लिए सहारा दे रहा है। ट्रम्प ने तो सीधे कहा था कि अगर जेलेसकी डील से पीछे हटते है तो उनके लिए बहुत बुरा होगा।

फिलहाल युद्ध चल रहा है और अमेरिका का जो प्लान इन दुर्लभ खनिजों को निकालने का था वो फैल होता नज़र आ रहा है इसलिए ट्रम्प प्रशासन चाहता है कि जल्द से जल्द यह युद्ध किसी भी तरह से रुक जाए और वो अपने फ़ायदे के काम को शुरू करे।

3. भारत का नया रवैया।

भारत अपनी नई नीति अनुसार अमेरिका के सामने झुकने को तैयार नही है। भारत ने अमेरिका के लगातार दबाव के बावजूद रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखा और अपने देश की जरूरतों को प्राथमिकता दी।

इसके साथ ही, संसद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ कर दिया कि operation sindoor के समय पाकिस्तान पर हमला रोकने के लिए उन्हें किसी का फ़ोन नही आया था जिससे ट्रम्प का झूठ पूरी तरह से ध्वस्त हो गया।

अमेरिका की पालिसी में कभी किसी देश का उद्धार लिखा नही होता। जिस प्रकार भारत एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है उस हिसाब से अमेरिका नही चाहता कि भारत ज़्यादा आगे बढ़े। इसलिए भारत के ऊपर इस तरह का दवाब बनाया जा रहा है जिससे भारत के विकास को धीमा किया जा सके।

भारत का जवाब: आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान

  • भारत सरकार ने ट्रंप के निर्णय को अनुचित बताते हुए स्पष्ट कर दिया: “हम अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी सेक्टर के हितों से समझौता नहीं करेंगे—even if we have to pay a heavy price personally”।
  • भारतीय कंपनियों, उद्योगपतियों और नागरिकों ने अमेरिका के बाहर नए निर्यात बाज़ारों की तलाश शुरू कर दी है: साउथ एशिया, अफ्रीका, लेटिन अमेरिका आदि।
  • व्यापारी संगठनों और राजनीतिक नेतृत्व ने ट्रंप प्रशासन के दबाव के आगे झुकने से मना करते हुए इसे “आर्थिक ब्लैकमेल” कहा है।

इन टैरिफ का असर सबसे ज्यादा ऑटो पार्ट्स, गहने, वस्त्र, समुद्री उत्पाद— जैसे सेक्टरों पर पड़ेगा।

फिलहाल तो अमेरिका, भारतीय निर्यात को चीन, बांग्लादेश, वियतनाम, इंडोनेशिया सरीखे प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले और ज्यादा महंगा बना रहे हैं।

निष्कर्ष

ट्रंप की टैरिफ नीति भारत के लिए तत्कालिक चुनौती हो सकती है, परंतु दूरगामी रूप से यह आत्मनिर्भरता और नए वैश्विक व्यापारिक साझेदारों की दिशा में एक मौका भी है। भारतीय ऊर्जा सुरक्षा और कृषि हित सर्वोपरि रहेंगे, और देश अमेरिका के दबाव के सामने “झुकने वाला नहीं”, यह संदेश स्पष्ट तथा दृढ़ है।

यह भी पढ़े:

Malegaon Blast: राजनैतिक लाभ के लिए किसने रची भगवा आतंकवाद की कहानी।

आचार्य अष्टावक्र ने बताया कि सत्य क्या है?

By Mayank Dubey

मयंक एक बहुआयामी लेखक, विचारशील कंटेंट क्रिएटर और युवा विचारक हैं एवं "मन की कलम" नामक हिंदी कविता संग्रह के प्रकाशित लेखक हैं। वे धर्म, भारतीय संस्कृति, भू-राजनीति और अध्यात्म जैसे विषयों में भी लिखते है। अपने यूट्यूब चैनल और डिजिटल माध्यमों के ज़रिए वे समय-समय पर समाज, सनातन संस्कृति और आत्मविकास से जुड़े विचार प्रस्तुत करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *