ब्रह्ममुहूर्त - brahmamuhurat

ब्रह्ममुहूर्त सच में चमत्कारी है या यह बस एक आडम्बर है। चलिए देखते है ब्रह्ममुहूर्त का पूरा विज्ञान।

जैसे इस युग में हम समय में आगे जा रहे हैं। एक बड़े स्तर में यह देखने को मिल रहा है कि लोगों की आदतें भी पहले के मुकाबले बदल रही है।

और ऐसा हो भी क्यों ना, क्योंकि युग बदलता है, समय बदलता है, परिस्थितियों में बदलाव आता है और इससे लोगों के जीवन में भी बदलाव आता है। अभी के समय न सिर्फ युवाओं में, बल्कि हर उम्र के लोगों में एक सामान्य चीज देखने को मिलती है कि वह देर रात तक जागते हैं।

देर रात तक जागने के कई कारण हो सकते हैं। कई लोग फोन की वजह से जागते हैं, कुछ लोग कोई फिल्म देखते हैं, कुछ लोग दूसरा काम करते हैं और जब देर रात तक यह लोग जागते हैं तो देर से सोते हैं और देरी से सोने कारण देरी से इनकी नींद खुलती है।

भारत में पहले लोग जल्दी उठा करते थे क्योंकि दिनचर्या वैसी हुआ करती थी। सुबह उठकर खेतों में जाना होता था, दूसरे काम होते थे। अब समय बदल गया लोगों के पास यह चुनाव और सुविधा है कि वह आराम से अपनी नींद पूरी करके उठ सकते हैं। तो ऐसा ही हमें देखने को मिल रहा है।

पर क्या कोई भी समय पर उठना ठीक है और क्या था ब्रह्ममुहूर्त और क्या है इसके पीछे का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक नज़रिया? चलिए देखते हैं।

ब्रह्ममुहूर्त क्या होता है?

बात जब आती है ब्रह्ममुहूर्त की तो इसके नाम से ही आपको पता चल रहा है कि यह दो मूल शब्दों से बना हुआ है। पहले ‘ब्रह्म’और दूसरा ‘मुहूर्त’। ब्रह्म का मतलब है चेतना या दिव्यता और मुहूर्त का अर्थ होता है ‘समय’।
इसलिए आपने सुना होगा कि कभी भी हम पंडित के पास जाते हैं तो उसे कहते हैं कि मुहूर्त निकाल दीजिए मतलब समय निकाल दीजिए।

अब बात आती है कि ब्रह्ममुहूर्त का समय कौन सा होता है देखा जाए तो यह सूर्य उदय से पहले का समय होता है जो लगभग 3:30 बजे से लेकर 5:30 के बीच आता है यह समय शास्त्रों और योग शास्त्र में बहुत पवित्र और ऊर्जावान समय माना गया है।

आपने भी अपने विद्यार्थी जीवन में एक बात सुनी होगी कि सुबह उठकर पढ़ने से चीजें अच्छे से याद रहती हैं। सुबह उठकर पढ़ने की सलाह इसलिए दी जाती थी क्योंकि सुबह के समय आपका दिमाग फ्रेश होता है और चीजों को अच्छे से समझ सकता है। सुबह के समय ग्रहणशीलता भी अच्छी होती है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लाभ

  1. मस्तिष्क की उच्च सक्रियता
    सुबह-सुबह मस्तिष्क अधिक शांत और केंद्रित होता है क्योंकि शरीर एक अच्छे लंबे समय के लिए आराम की स्थिति में रहने के बाद उठता है। आपका मस्तिष्क, आपका शरीर आराम के बाद जब उठता है तो वह एकदम ताजा रहता है। इसलिए मस्तिष्क की सक्रियता इस समय उच्च स्तर पर रहती है।
  2. कॉर्टिसोल स्तर अधिक होता है
    कॉर्टिसोल से आपके शरीर में ऊर्जा रहती है और एकाग्रता बढ़ती है सुबह के समय इसका स्तर ऊंचा रहता है इसलिए भी ब्रह्ममुहूर्त को खास माना गया है।
  3. तनाव की कमी
    सुबह का शांत वातावरण मन और मस्तिष्क को शांति देता है। इस समय किए गए कार्यों में बाधा उत्पन्न नही होती। साथ ही सुबह की ताज़ा हवा में घूमने से यह दिमाग की लाभ होता है।

आध्यात्मिक और योगी की दृष्टि

ब्रह्ममुहूर्त को न सिर्फ वैज्ञानिक बल्कि आध्यात्मिक नजरिए से भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। साधारण जीवन में भले ही हम सूर्योदय के बाद उठते हैं मगर जो लोग एवं साधु-संत साधना करते हैं वह विशेष तौर पर इस बात का ध्यान रखते हैं कि उनके कार्यक्रम उनके निश्चित मुहूर्त के हिसाब से हो।

1. ध्यान के लिए उत्तम समय

उनके दिन की शुरुआत ही ब्रह्ममुहूर्त से होती है। साधना, ध्यान, मंत्र जप और योग के लिए ब्रह्ममुहूर्त सर्वोत्तम समय कहा गया है। इस वजह से साधना के मार्ग पर चलने वाले योगी इस मुहूर्त का लाभ जरूर लेते हैं।

2. ईश्वर से जुड़ाव

यह समय आत्मा और परमात्मा या ईश्वर के बीच दूरी को काम करता है। सुबह के समय एक फ्रेश मन के साथ जब आप ध्यान में बैठते हैं तो आपको साक्षात ईश्वर का अनुभव होता है। कभी देखिएगा कि सुबह के समय जो आपका शारीरिक और मानसिक ऊर्जा स्तर होता है, शाम के समय वह नहीं होता।

शाम के समय आप थके होते हैं, न मस्तिष्क शांत रहता है न शरीर हो तंदरुस्त रहता है। इनमें एक कमी नजर आती है जो सुबह के समय नहीं होती।

3. चित्त की शुद्धि

इस समय मन स्थिर होता है जिससे आत्म निरीक्षण सफल होता है। अच्छी नींद के बाद उठने के पश्चात थोड़ा ध्यान दीजिए। आपको एहसास होगा कि आपके काम करने की क्षमता एक खास तरीके से बड़ी हुई है। यह वैसे ही कि आपका कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जो गर्म तापमान पर ठीक से काम नही करता मगर सामान्य तापमान में अच्छा काम करता है।

आपके शरीर और मस्तिष्क की बनावट भी ऐसी है अगर आसपास का वातावरण ठीक होगा तो यह बड़े अच्छे से काम करेंगे।

ब्रह्ममुहूर्त के कई सारे आयुर्वेदिक लाभ

  1. पाचन तंत्र की सफाई
    इस समय उठकर शरीर को अच्छे से डिटॉक्स किया जा है।
  2. वात पित्त कफ में संतुलन
    सुबह की प्रकृति तीनों दोषों को संतुलित करती है।
  3. दीर्घायु और रोग प्रतिरोधक क्षमता
    नियमित ब्रह्ममुहूर्त टूटने वाले व्यक्ति अधिक स्वस्थ रहते हैं।

यह सारे कदम आपके जीवन को बहुत लाभ पहुंचाते हैं पर इसी के साथ यह समझना बड़ा जरूरी है कि अगर कोई कहता है कि ब्रह्ममुहूर्त अच्छा होता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप रात के 12 बजे या उसके बाद के दरमियां सोएं और 3:30 बजे उठ जाए।

अगर आप ऐसा कुछ करेंगे तो शरीर थका हुआ रहेगा। न नींद पूरी होगी और न कोई लाभ होगा। उल्टा यह नुकसानदायक होगा। यह जरूरी है कि शरीर को जितनी नींद चाहिए, आप उतनी नींद ले तभी आपको किसी भी चीज का लाभ हो पाएगा अन्यथा अधूरे ज्ञान के कारण लाभ की जगह आपको नुकसान उठाने पड़ जाएंगे।

चलिए देखते हैं कि किस तरीके से आप इस ब्रह्ममुहूर्त का लाभ ले सकते हैं

  1. रात को जल्दी सोने का प्रयास करें
    देखिए आज की मौजूदा स्थिति में कई लोगो की नौकरी और पेशा ऐसा है कि वह जल्दी नहीं सो सकते। मगर एक प्रयास यह अवश्य करें कि अपने उठने के समय को थोड़ा और काम करते चले जाए।
    उदाहरण के लिए अगर आप 8:00 बजे उठते हैं तो कोशिश करें कि अगले कुछ दिनों में आपको 7:30 बजे नींद खोलकर बिस्तर छोड़ देना है। यह तभी संभव होगा जब आप सही समय पर सोएंगे।
  2. इलेक्ट्रॉनिक गैजेट को रात में जल्दी बंद कर दें।
    कुछ लोग का काम टेक्नोलॉजी से जुड़ा हुआ होता है। उनका काम बिना फोन, लैपटॉप के नहीं होता मगर भारत में आज भी एक बड़ी संख्या फोन, टीवी और लैपटॉप सिर्फ मनोरंजन के लिए इस्तेमाल करती है।
    संभव हो तो इन सारी चीजों को हटाकर किसी किताब का सहारा लें, अपनी डायरी लिखें या परिवार के साथ समय बिताये।
    आपको फोन तो बिल्कुल भी अपने साथ नहीं रखना चाहिए, क्योंकि फोन रखेंगे तो सोशल मीडिया एप्स को देखेनेगें। सोते समय दिमाग में ख़राब चीजे जाएंगी।
  3. अलार्म की जगह धीरे-धीरे अपनी बॉडी क्लॉक सेट करें
    आप गंभीरता से इस बात पर ध्यान दीजिए कि आपके उठने का समय लगभग एक जैसा होता है।फिर भले आसपास का कोई व्यक्ति आपको उठाए या न उठाए। शरीर की बॉडी क्लॉक को मालूम है, क्या समय हो गया है और उसे बिस्तर छोड़ना है। इसलिए कहा जाता है यह शरीर इस प्रकृति से बना हुआ है और सब आपस में जुड़े हुए हैं। बाहरी किसी चीज की सहायता से उठने से बेहतर है कि आप धीरे-धीरे अपनी बॉडी क्लॉक को उस समय पर सेट कर लें जिस पर आप उठना चाहते हैं।
  4. सुबह उठकर गर्म पानी का सेवन करें
    गर्म पानी बड़ा लाभदायक होता है। खासकर उन लोगों के लिए जो वजन कम करना चाहते है। जो सुबह अपने पेट को अच्छे से खाली करना चाहते हैं उनके लिए गर्म पानी का सेवन बहुत लाभकारी है।
  5. ध्यान और जब का सहारा लें
    सुबह उठने के बाद और रात में सोने के पहले अगर आप ध्यान करते हैं तो यह शरीर, मन और मस्तिष्क के लिए बहुत अच्छा होता है। सुबह से लेकर दिनभर आपको एक लंबी जंग के लिए निकलना होता है इसलिए आपकी बुद्धि को तैयार करने के लिए आप ध्यान जरूर करना चाहिए। अगर रात में सोते समय मस्तिष्क में हजारों बातें चलती रहेगी पुर्ण रूप से आराम नहीं मिल पायेगा। इसीलिए मस्तिष्क को शांत करने के लिए रात में सोने के पहले आप जप कर सकते हैं या कुछ मिनट का ध्यान कर सकते हैं।

निष्कर्ष

ब्रह्ममुहूर्त में उठाना उन लोगों के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है जो किसी तरह की साधना करना चाहते है। बाकी लोगो को भी इसका लाभ होगा मगर तभी जब आप ब्रह्ममुहूर्त में उठने की इच्छा के साथ-साथ अपने शरीर का भी ध्यान रखें।
ब्रह्ममुहूर्त में उठकर साधना करना कोई मजबूरी नहीं है बल्कि एक आध्यात्मिक और वैज्ञानिक आदत है जो शरीर, आत्मा और मन का उद्धार करती है। आज से ही यह प्रयोग शुरू करें और देखें कि आपके जीवन में क्या बदलाव आ रहे हैं।

By Mayank Dubey

मयंक एक बहुआयामी लेखक, विचारशील कंटेंट क्रिएटर और युवा विचारक हैं एवं "मन की कलम" नामक हिंदी कविता संग्रह के प्रकाशित लेखक हैं। वे धर्म, भारतीय संस्कृति, भू-राजनीति और अध्यात्म जैसे विषयों में भी लिखते है। अपने यूट्यूब चैनल और डिजिटल माध्यमों के ज़रिए वे समय-समय पर समाज, सनातन संस्कृति और आत्मविकास से जुड़े विचार प्रस्तुत करते हैं।

3 thoughts on “क्या ब्रह्ममुहूर्त में उठना वाकई जीवन बदल सकता है?”

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