लोग कब्ज का इलाज के लिए बड़े परेशान होते है। हो भी क्यों न, कब्ज (Constipation) शब्द सुनकर ही लोगों को खुद का पेट याद आ जाता है। कब्ज एक ऐसी बीमारी है जो लगातार लोगों में बढ़ती जा रही है।
कब्ज से ग्रसित व्यक्ति का हाल ऐसा होता है जैसे मानो उसे किसी चीज में बांध दिया गया हो। कब्ज होने पर पेट साफ नहीं होता तो किसी भी दूसरी जगह व्यक्ति का ध्यान नहीं जाता और उसे दिनभर में कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है।
कब्ज से परेशान लोगों की संख्या लगातार बढ़ती चली जा रही है। हर पांच में से तीन को यह समस्या लगी ही रहती है।
क्या कब्ज सिर्फ पेट की बीमारी तक सीमित है या यह इससे कुछ ज्यादा ही बढ़कर है?
कब्ज में पेट साफ नहीं होता। पेट की गंदगी, पेट से बाहर निकल नही पाती। जिस वजह से कई अन्य बीमारियों की शुरुआत होने की संभावना बढ़ जाती है।
इसी के साथ अगर पेट साफ नहीं होगा तो ना ब्रह्मचर्य रह पाएगा, शरीर में आलस बढ़ेगा और ध्यान लगाना तो असंभव भी हो जाएगा। क्योंकि पेट की गंदगी साफ न होने के कारण कब्ज बढ़ता है और इससे मन भटक जाता है, शरीर सुस्त पड़ जाता है और चेतना भारी सी लगने लगती है। इस वजह से किसी भी काम में मन नहीं लगता।
चलिए देखते हैं कब्ज के क्या कारण होते हैं। यह कैसे हमें प्रभावित करता है और इससे बचने के लिए क्या उपाय किया जा सकते हैं।
कब्ज के कारण
कब्ज ऐसे ही नहीं हो जाता, इसके पीछे कई सारे कारण होते हैं। जिन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया जाता हैं और लगातार कब्ज की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
1. लीवर की क्षमता से अधिक खाना –
हम सबकी भोजन करने की एक क्षमता होती है। जब हमें भूख लगती है और हम खाना शुरू करते हैं तो भूख के चलते हम लगातार तेजी से ज्यादा खा लेते हैं और हमें पता चलता ही नहीं है क्योंकि खाना धीरे-धीरे हमारे शरीर के अंदर पहुंचता है।
अधिक खाने से हम हमारे पेट के अंगों की क्षमता से ज्यादा भोजन अपने अंदर ग्रहण कर लेते हैं जिससे कब्ज की परेशानी का सामना करना पड़ता है।
2. गरिष्ठ या भरी भजन
भारी भोजन को भारी इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह हमारे शरीर का न सिर्फ वजन बढ़ाता है बल्कि इसको पचाने के लिए शरीर को भी भारी मेहनत करनी पड़ जाती है। गरिष्ठ भोजन करने के बाद आपको असहजता भी महसूस होती है।
गरिष्ठ भोजन के अंदर वह सारी चीज होती हैं जिसे पचाने में शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। जैसे घी, तेल, मसाले।
उदाहरण के लिए तेल भरी पुरिया, समोसे, पकोड़े, मसालेदार सब्जियां, अधिक मात्रा में पनीर, घी और मिठाई जैसे केक और क्रीम भरी पेस्ट्रीज।
गरिष्ठ भोजन अगर कम मात्रा में लिया जाए तो यह नुकसान नहीं करता मगर भारी मात्रा में इसे लेने से पाचन तंत्र बिगड़ जाता है।
3. स्वाद के पीछे दौड़
शरीर को सिर्फ भोजन चाहिए। ऐसा भोजन जो उसे ऊर्जा प्रदान करें। मगर जो जीभ है उसे स्वाद के पीछे भागना पसंद है और जब यह जीभ स्वाद के पीछे भागती है तो शरीर को इसका खामयाजा भुगतना पड़ता है। स्वाद के चक्कर में हम जरूरत से ज्यादा मीठा खा लेते हैं, मसालेदार चीज खा लेते हैं और इसका असर हमारे पाचन तंत्र में देखने को मिलता है।
स्वाद के चक्कर में व्यक्ति मीठा ज्यादा खाता है जिससे उसका वजन भी बढ़ता है और कई सारी बीमारियां भी लग जाती हैं।
4. बाजार का दूषित या तला हुआ भोजन
बाजार में अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ आपको मिल जाएंगे। जिसमें कई पैकेट वाले होते हैं, कई खुले होते है। भारत में खुले में बिकने वाले बड़े, समोसे एवं होटलों की हालत बहुत अच्छी नहीं है। रोड के किनारे बनी इन दुकानों में बिना किसी जाली के खुले में पकवान रखे होते हैं।
दिनभर की लगातार आने वाली धूल, अनेक प्रकार के कीड़े आकर इन पकवानों पर बैठ जाते हैं। इसी के साथ बाहर के खाद पदार्थ में तेल और अन्य सामग्री भी अच्छी उपयोग नहीं होती। ऐसा भोजन करने से न सिर्फ पाचन तंत्र में असर पड़ता है बल्कि अन्य प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया भी आप अपने अंदर ले लेते हैं। जिससे फूड प्वाइजनिंग तक का खतरा बढ़ जाता है।
5. व्यायाम की कमी
अभी की व्यस्त दिनचर्या के कारण बहुत सारे लोगों के पास यह बहाना होता है कि उनके पास व्यायाम का समय नहीं है।
हमारा शरीर लगातार खराब चीज ग्रहण करता है और हम अपने दिनचर्या में किसी प्रकार का योग भी शामिल नही करते। इससे शरीर आलस युक्त हो जाता है और शरीर की तंदुरुस्ती को नुकसान पहुंचता है।
व्यायाम या योग सिर्फ शरीर के लिए नहीं होता। यह आंतरिक रूप से भी आपको मजबूत और स्वस्थ बनाता है।
अगर आप कोई योग आसान नहीं कर सकते, वजन उठाना आपको बड़ा मुश्किल लगता है। तो आपको कम से कम 2 से 3 किलोमीटर पैदल जरूर चलना चाहिए।
पैदल चलना सेहत के लिए बहुत लाभदायक होता है।
जब आपके शरीर से व्यायाम करते समय पसीना निकलता है तो आपके अंदर तमोगुण काम होता है। यह जानना बहुत जरूरी है कि जब पेट में कब्ज बढ़ता है तो उसके कारण तमोगुण भी बढ़ जाता है, प्रबल हो जाता है। जिसके कारण व्यक्ति को नींद बहुत आती है। उसका मन अस्थिर हो जाता है, उसे क्रोध बहुत आता है, मन की चंचलता बढ़ जाती है और सात्विक भोजन से उसकी अरुचि हो जाती है।
इसलिए कई महापुरुषों एवं संतो ने कहा है कि अगर भोजन रस भरा होगा तो भजन में रास नहीं आएगा। क्योंकि रस भरा भोजन न सिर्फ शरीर बल्कि मन को भी क्षतिग्रस्त कर देता है और आप सात्विकता से हटकर तामसिक गुण की ओर बढ़ जाते हैं।
भोजन अगर साध्विक होगा तो आपका मन ईश्वर में लगेगा, ज्ञान की प्रक्रिया में आप अच्छे से उच्च स्तर पर पहुंच पाएंगे।
कब्ज का इलाज, भोजन करते समय रखे यह ख्याल।
- आधा पेट भोजन करें, एक चौथाई जल ग्रहण करें और बाकी की जगह वायु के लिए छोड़ दें।
- जो बाहर होटल में बहुत खाना पसंद करते हैं। उन्हें सोचने की जरूरत है कि क्या बाहर का भोजन पूरी तरीके से साध्विक है क्योंकि भोजन की साध्विकता उसमें मिल रही सामग्री के साथ-साथ बनाने वाले के भाव पर भी नर्भर करती है।
- सिर्फ स्वाद से भोजन सात्विक नहीं बनता। भोजन सात्विक उसकी पवित्रता से बनता है। हमारा खाया हुआ भोजन हमारे मन, हृदय और चेतना को प्रभावित करता है। अगर आपका मन, हृदय और चेतन आपके नियंत्रण में नहीं होगी तो यह लगातार भटकाव वाली स्थिति में आएगी। इससे जीवन की दिशा में भी भटकाओ उत्पन्न होगा।
कब्ज का इलाज के रूप में यह कुछ नियम दिए गए हैं जिससे आप अपने भीतर सुधार कर सकते हैं और इस कब्ज से बच सकते हैं।
- हल्का खाना खाएं, संयमित भोजन ले।
- समय पर भोजन करने की आदत डालें।
- कब्ज होने पर उपवास करें और सिर्फ फलहार ले।
- जितना हो सके उतना पानी पिए। पानी एक रामबाण उपाय है।
प्रातः उठकर 500 एमएल गुनगुना पानी खाली पेट पीना लाभदायक होता है। और दिन भर में कम से कम 3 लीटर पानी आपको जरूर पीना चाहिए। अगर संभव हो तो वज्रासन में बैठकर जल पिए। यह कब्ज का इलाज के लिए और भी अच्छा होता है।
कुछ तरीके जो जीवन को साध्विकता और कब्ज रहित बनाते हैं।
- जब भी आपको स्वादिष्ट पकवान मिले तो उसे खाने की मात्रा को घटा दीजिए।
- इच्छा रहित होकर भोजन ग्रहण करना चाहिए।
- अपने विवेक से भोजन करना चाहिए, लालच से नहीं।
जितना संभव हो, उतना शरीर को संयम रखो और भीतर दिव्यता का प्रकाश लो। इस दौर में जहां हमारे पास सुविधाओं की भरमार है वहां पर सुविधाओं का उपयोग कर हम अंदरुनी रूप से कमजोर होते जा रहे हैं और यह हमारी आंतरिक शक्ति को कमजोर कर रहा है।
निष्कर्ष
कब्ज के कारण बहुत ज्यादा समस्याएं होती हैं और मनुष्य का जीवन ही खराब हो जाता है। कब्ज को मिटाने के लिए बहुत जरूरी है कि आपका पेट पूरी तरीके से साफ रहे। अगर पेट साफ रहेगा तो आपका मन शांत रहेगा, मन शांत रहेगा तो आपका जीवन सुखी रहेगा। अगर संभव हो तो सात्विक भोजन ले, इससे आपकी चेतना ऊर्ध्वगामी होगी और इससे ब्रह्मचर्य का मार्ग सशक्त रहेगा।
