coldrif cough syrup case Doctor praveen soni

06 अक्टूबर 2025 को डॉक्टर प्रवीण सोनी को कोर्ट में पेश किया जाना था। इसके एक रात पहले पुलिस डॉक्टर सोनी को अपने साथ उनके निजी हॉस्पिटल लेकर पहुँची थी जिसे Coldrif Cough Syrup वाले मामले की जांच का हिस्सा बताया जा रहा है। दरसल 04 अक्टूबर शनिवार को देर रात परासिया के प्रसिद्ध डॉक्टर प्रवीण सोनी को पुलिस ने कोल्ड्रिफ़ सिरप (Coldrif Cough Syrup) के कारण हुई बच्चों की मृत्यु के मामले में गिरफ्तार कर लिया था।

डॉ प्रवीण सोनी की गिरफ्तारी तब हुई जब बच्चो की मृत्यु की संख्या बढ़ती चली गई और मीडिया के प्रभाव से मामला राज्य और देश स्तर तक पहुंचा गया।

डॉ प्रवीण सोनी क्षेत्र के अनुभवी और जाने-माने चिकित्सक है उनकी गिरफ्तारी के बाद लगातार क्षेत्र के कई नेता एवं चिकित्सक संघ के लोगों की मांग है कि उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाए क्योंकि प्रवीण सोनी इस मामले के लिए जिम्मेदार नहीं है। कुछ लोगो का तर्क है कि किसी डॉक्टर को मालूम नहीं होता की दवाई किस तरह से बनी है और बंद दवाई बोतल के अंदर क्या मौजूद है। दवाई कंपनी के भरोसे पर डॉक्टर अपने मरीजो को दवा लिखता है।

क्या था पूरा मामला।

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के अंदर परासिया में लगातार बच्चों की किडनी फेल होने के कारण मृत्यु हो रही थी। पहले कयास लगाया जा रहा था कि उनकी मृत्यु का कारण क्षेत्र में सप्लाई हो रहा गंदा पानी है मगर हाल में जब इसकी जांच पूरी हुई तो पता चला कि कोल्ड्रिफ़ सिरप (Coldrif Cough Syrup) और उसके ओवरडोज के कारण बच्चों की किडनी फेल हुई जिससे उनकी मृत्यु हो गयी।

इसी के बाद तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल विभाग ने कोल्ड्रिफ़ सिरप (Coldrif Cough Syrup) के बैच एस आर-13 को ‘मिलावटी’ घोषित कर दिया। ड्रग्स कंट्रोल विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सिरप में 48.6 प्रतिशत डायथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया। यह एक ज़हरीला रसायन है और सेहत के लिए बहुत घातक साबित हो सकता है। इसके बाद तमिलनाडु और मध्यप्रदेश में उस ड्रग को बैन कर दिया गया।

मरने वाले बच्चों में लगभग सब 10 वर्ष से कम आयु के है और सभी मध्यवर्गीय परिवार से आते है। इन परिवारों ने बच्चों को बचाने के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया मगर बच्चों की जान नहीं बच पाई। ऊपर से इन परिवारों को जिंदगी भर का मानसिक तनाव और जीवन पर्यंत की पीड़ा मिली जिसे भूला पाना किसी भी माता-पिता के लिए असंभव है।

क्या कह रहे बच्चों के माता-पिता

रविवार 5 अक्टूबर को कई माता-पिता परासिया थाने पहुंचे और चिकित्सक प्रवीण सोनी के खिलाफ FIR एवं कड़ी कार्रवाई की मांग की। यह अभिभावक बड़ी आशा से अपने उन बच्चों को डॉक्टर प्रवीण सोनी के पास लेकर गए थे जिन्हें हल्की सर्दी जुकाम था। उन्हें उम्मीद थी कि जिस सर्दी जुकाम से उनका बच्चा परेशान हो रहा है डॉक्टर सोनी के इलाज के बाद उनका बच्चा पूरी तरह ठीक हो जाएगा। उन्हें यह बात की बिल्कुल भी खबर नहीं थी कि जिस डॉक्टर के पास वो अपने बच्चों का इलाज करने जा रहे हैं वहीं उनकी मौत का कारण बनेगा।

अभिभावकों में इस तरह का आक्रोश होना स्वाभाविक है क्योंकि उन्हें जो पीड़ा मिली है, जो दुख उनके ऊपर आया है और जिस चीज को उन्होंने खाया है, उसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। जो लोग डॉक्टर के समर्थन में बात कर उन्हें रिहा करने की मांग कर रहे हैं क्या वह कभी उन माता-पिता की पीड़ा को समझ पाएंगे? क्या वह लोग उनके खोए हुए बच्चों को वापस ला पाएंगे?

बड़ा सवाल यह भी है कि डॉक्टर सोनी के वापस आने के बाद क्या उनके यही समर्थक पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने बच्चो का इलाज उनसे करवाएंगे?

यह तर्क दिया जाना पूरी तरीके से वेध है कि डॉक्टर को खबर नहीं होती की दवा किस तरीके से बनी है। इस बात की भी संभावना है कि कंपनी में जब दवा मैन्युफैक्चर हो रही होगी तभी कोई भारी भूल के कारण दवा ने जहर का रूप ले लिया होगा।

निश्चित ही डॉक्टर इस मामले में पूरी तरीके से जिम्मेदार नहीं हो सकता मगर एक खास तरह की चीज को यहाँ देखने और समझने की जरूरत है। जिसके लिए आपको डॉक्टर प्रवीण सोनी के बारे में थोड़ा समझाना पड़ेगा। यह कौन है और किस तरीके से यह सारी चीज इस अंजाम तक पहुंची।

डॉक्टर प्रवीण सोनी को जिम्मेदार क्यों ठराया जा रहा है।

Doctor Praveen Soni Parasia
मीडिया से बात चित के दौरान डॉक्टर प्रवीण सोनी

डॉ प्रवीण सोनी परासिया क्षेत्र के न सिर्फ बहुत अनुभवी और विख्यात डॉक्टर है बल्कि क्षेत्र के सबसे अमीर चिकित्सकों में से एक है। यह परासिया के सरकारी अस्पताल में भी डॉक्टर है जहाँ पहले BMO के पद पर भी रह चुके हैं।

मगर जिस बात को लेकर सारा हंगामा हुआ और जो कार्रवाई उन पर की गई उस पर एक चीज़ यह है कि डॉक्टर साहब का एक निजी अस्पताल है। यह निजी अस्पताल कई सालों से चल रहा है और इसी बात को लेकर कुछ लोगों ने यह आरोप भी लगाये है कि डॉक्टर साहब सरकारी पद में रहने के बावजूद अपने निजी अस्पताल पर ज्यादा ध्यान देते थे।

इसी निजी हस्पताल में उन बच्चों का इलाज हुआ था जिसके बाद उनकी किडनी फेल होने के कारण मृत्यु हुई थी। डॉ प्रवीण सोनी ने ही दवा के रूप में कोल्ड्रिफ़ सिरप (Coldrif Cough Syrup) उन बच्चों को लिखा था जिसे उनके मेडिकल स्टोर से लेकर बच्चों को दिया गया था। इसके बाद बच्चों की हालत बिगड़ती चली गई और अंत में वह अपनी जान गवा बैठे।

Doctor Praveen Soni Prescription
Doctor Praveen Soni Prescription

प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार डॉक्टर प्रवीण सोनी कई दिनों से इस कोल्ड्रिफ़ सिरप (Coldrif Cough Syrup) को मरीजों के पर्चे में लिख रहे थे। डॉक्टर ने 17 अगस्त 2025 को दिव्यांश यदुवंशी को यह दवा लिखी थी। उसके बाद उन्होंने यह दवा कई और बच्चो को लिखी, जिसमे 24 अगस्त 2025 को बोरदेही के कबीर को लिखी थी।

coldrif cough syrup prescription
coldrif cough syrup praveen soni prescription

निश्चित ही दवाई बोतल के अंदर क्या है इसकी डॉक्टर को खबर नही होगी मगर जब बच्चो की लगातार मृत्यु होना शुरू हुई, क्या उसके बाद डॉक्टर सोनी की यह नैतिक जिम्मेदारी नही थी कि इस बात को देखे कि जिन बच्चों का उन्होंने इलाज किया था वो कैसे लगातार अपनी जान गवा रहे है। डॉक्टर प्रवीण सोनी के लिए इस बात का पता लगाना कोई मुश्किल काम इसलिए भी नही था क्योंकि अपने निजी हॉस्पिटल के साथ वो खुद सरकारी डॉक्टर नियुक्त है जहाँ सरकार द्वारा उन्हें लाखों रुपयों की तन्खा मिलती है।

coldrif cough syrup praveen soni prescription
Praveen Soni prescription

अगर सही समय थोड़ा चिंता कर, अपने डॉक्टर होने की जिम्मेदारी निभाई होती तो इस जेहरिली दवा के व्हिसलब्लोअर के रूप में डॉक्टर साहब सामने आते और इसके बाद अन्य कई बच्चों की जान बचाई जा सकती थी क्योंकि दवाई की सच्चाई पहले ही सामने आ जाती। मगर डॉक्टर साहब ने ऐसा नहीं किया उन्होंने यह दवाई 20 सितंबर 2025 तक अपने उन मासूम मरीजों को लिखी जिसकी वजह से मौतों का आंकड़ा बढ़ता गया।

स्वास्थ्य और दवाइयों का बड़ा व्यापार, प्रवीण सोनी के द्वार।

आज के समय स्वास्थ्य सेवा नही बल्कि धंधा बन चुका है। और जब इनके खिलाफ कोई बोलना शुरू करता है यो यह डॉक्टर एक साथ आकर धरना देने शुरू कर देते है।
यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि दवाई कंपनियां डॉक्टर को भारी कमीशन देती है। इन फार्मा कंपनी के एम.आर डॉक्टरो को उस दवाई से जुड़ी हुई स्कीम बताते हैं और मोटी रकम का लालच देते हैं। उसके बाद डॉक्टर अपने मरीजों को यह दवाई देना शुरू कर देते हैं।

अब जरा यह सोचिए एक डॉक्टर जो सरकारी हॉस्पिटल में नियुक्त है और साथ ही खुदका मेडिकल स्टोर एवम निजी हॉस्पिटल चला रहा है जब उसे इन दवाई कंपनियों द्वारा कमीशन दी जा जाएगी तो क्या वो सरकारी हस्पताल में मरीजों को यह दवाई नही लिखेगा। ऐसा सुनने में भी आ रहा है कि डॉक्टर साहब कई मरीजों को ऐसा कहकर अपने निजी हॉस्पिटल में बुला लेते थे कि वहाँ अच्छा इलाज हो जाएगा।

डॉ प्रवीण सोनी के मेडिकल स्टोर के अंदर जब छापेमारी की गई तो इस दवाई की कुछ बोतलो को जप्त किया गया और उसके बाद उनके निजी अस्पताल को सील कर दिया गया।

परासिया BMO अंकित सेलाम द्वारा डॉक्टर प्रवीण सोनी और दवा कंपनी के खिलाफ FIR भी दर्ज की गई और डॉक्टर प्रवीण सोनी को निलंबित कर दिया गया।

हालांकि यह बात और है कि यह सस्पेंशन और गिरफ्तारी ज्यादा लंबी नहीं चलने वाली क्योंकि डॉक्टर साहब अच्छे खासे अमीर है और निश्चित ही कोर्ट में उन्हें अपनी बातें रखने का पूरा अधिकार है।

सरकारी तंत्र का है यह फेलियर।

एक पत्रकार ने जब परासिया SDM से बात कर पूछा कि बच्चो का पोस्टमार्टम क्यों नही किया गया तो SDM महोदय ने कहा कि अभिवावकों की मंजूरी नही थी। इसपर पत्रकार ने कहा कि एक अभिवावक की मंजूरी के सबूत है तो SDM साहब की आवाज़ ही मानो गायब हो गयी। उसके बाद SDM महोदय अपना SDM वाला भोकाल दिखाकर चले गए। जिससे यह साफ़ पता चलता है की कई मौतों के बाद भी प्रशासन सो रहा था और सोता हुआ प्रशासन कैसे पोस्टमॉर्टेम करवाता।

इस मामले में लगे समाज सेवक अमूल पटेल से बात हुई तो पता चला कि वो कई दिनों से इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक दलों के पास जा रहे थे और बीमार बच्चो के इलाज के लिए गुहार लगा रहे थे। उन्होंने छिंदवाड़ा सांसद के पी.ए से इस संदर्भ में बात भी की थी मगर आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ भी नहीं मिला।

अमूल पटेल ने सभी के सहयोग से निजी स्तर पर इस दवा (Coldrif Cough Syrup) से बीमार कुछ बच्चो के इलाज के लिए राशि जोड़ने का प्रयास भी किया जिसमें से एक बालक कुणाल यदुवंशी के इलाज के लिए 52600/- रुपयों की राशि की व्यवस्था की गयी है। बच्चा अभी AIIMS दिल्ली में भर्ती है। नितिन गडकरी के लेटर हेड के बावजूद बच्चे को AIIMS नागपुर में बेड नही मिल पाया था।

राजनीतिक हो रहा है मामला।

भारत की मूल समस्या ही यही है जब तक कोई मामला राजनीतिक नहीं होता तब तक लोगों का इस पर ध्यान ही नहीं जाता है। खासकर हमारे बड़ी पार्टियों के नेताओं का।

कई बच्चों की मृत्यु के बाद जब हल्ला हुआ और कार्रवाई होना शुरू हुई तब जाकर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 6 अक्टूबर 2025 को परासिया का दौरा किया और मृतकों के परिवारजनों से मुलाकात की। इसके पहले 6 अक्टूबर को ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी परासिया आकर मृत बच्चों के परिवार से भेंट की थी। प्रदेश अध्यक्ष ने स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की भी मांग की थी। जीतू पटवारी ने इस बात पर भी सवाल खड़ा किया था कि डॉक्टर प्रवीण सोनी को क्यों गिरफ्तार किया गया है।

निष्कर्ष।

उन 14 मासूमों की जान तब चली गई जब उन्होंने दुनिया को ठीक से ना देखा था, ना समझा था। जो दर्द उनके परिवारों को मिला है उसकी कल्पना भी किसी के बस की नहीं है। मगर इन 14 मासूम बच्चों का इंसाफ क्या होगा?

क्या डॉक्टर प्रवीण सोनी अकेले इस घटना के जिम्मेदार है या वो दवा (Coldrif Cough Syrup) कंपनी का मालिक जिम्मेदार है? निश्चित ही दवा कंपनी ने जानबूझकर ऐसा कुछ नहीं किया होगा। किसी टेक्निकल फाल्ट या अंदरूनी साजिश के चलते दवाई (Coldrif Cough Syrup) जहर बन गयी मगर इन सब चीजों को जिम्मेदार कौन है?

जिन सरकारी विभाग के अधिकारियों को दवाइयों की चेकिंग के लिए रखा गया था क्यों उन्होंने अपना काम ठीक से नहीं किया। जिसकी लापरवाही के कारण यह दवाई मार्केट तक पहुंची और उन बच्चों तक आई।

क्या यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि जो डॉक्टर सरकारी वेतन लेकर सरकारी डॉक्टर नियुक्त हुए हैं उनके निजी अस्पताल में प्रैक्टिस पर रोक लगाई जाए। क्योंकि अगर डॉक्टर ऐसा करेगा तो वह अपने निजी संस्थान में ज्यादा ध्यान देगा। भारत में ऐसे कई मामले हर कुछ महीनो में हमारे सामने आते हैं कभी मुद्दा मेडिकल से जुड़ा होता है तो कभी सड़क से तो कभी किसी ब्रिज गिरने से, कुछ दिन हल्ला होता है उसके बाद हम सब भूल कर अपने कामों में लग जाते हैं। आने वाले समय में देखना होगा कि डॉक्टर प्रवीण सोनी कब तक रिहा होते हैं और इस मामले में क्या सच में उन 14 मासूम बच्चों का कोई जिम्मेदार बनता है या यह मामला सिर्फ कोर्ट और कोर्ट की पेशी तक सीमित हो जाता है।

Other Blogs:

क्या था गंगूबाई का असली सच? जो छुपाया गया।

उधार कथा: पैसे, रिश्ते और भरोसे की अनकही दास्तान।

By Mayank Dubey

मयंक एक बहुआयामी लेखक, विचारशील कंटेंट क्रिएटर और युवा विचारक हैं एवं "मन की कलम" नामक हिंदी कविता संग्रह के प्रकाशित लेखक हैं। वे धर्म, भारतीय संस्कृति, भू-राजनीति और अध्यात्म जैसे विषयों में भी लिखते है। अपने यूट्यूब चैनल और डिजिटल माध्यमों के ज़रिए वे समय-समय पर समाज, सनातन संस्कृति और आत्मविकास से जुड़े विचार प्रस्तुत करते हैं।

One thought on “Coldrif Cough Syrup का कहर, डॉक्टर प्रवीण सोनी के अलावा किसने लिखी थी दवाई?”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *