साइबर अपराध का शिकार।

बैंकिंग सेवाओं में वित्तीय लेनदेन के लिए जितनी तकनीकी सुविधाएं बढ़ रही है उसी के साथ बढ़ रहे हैं स्कैम और साइबर अपराध।

ऐसे स्कैम्स करने वाले हर रोज नई तकनीक अपना कर मासूम लोगों को ठग लेते हैं। कभी फोन में वीडियो कॉल पर धमका कर, तो कभी फर्जी तरीके से ओटीपी लेकर ट्रांजैक्शन कर लोगो को साइबर अपराध का निशाना बना लेते है।

ऐसे अपराधों को रोकने के लिए जितने प्रयास किए जाते हैं उसके अगले बार ठग नई तकनीक को इस्तेमाल कर वापस से अपना धंधा शुरू कर देते हैं।

ऐसे साइबर अपराध के मास्टरमाइंड की नज़र गरीब और बेरोजगार लोगों पर होती है ताकि उन्हें निशाना बनाया जा सके। इसी तरीके से करोड़ो के साइबर अपराध किये जा रहे है।

किराए से बैंक खाते लेकर कर रहे है अपराध।

यह साइबर अपराधी इंटरनेट पर मौजूद हर तरीके का इस्तेमाल कर लाभ उठाते हैं। हाल के दिनों में बैंक खातों को किराए से लेने के लिए साइबर ठगों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में खास कर टेलीग्राम पर एक ग्रुप बनाया और उस पर लोगों को लालच देने वाली कई पोस्ट शेयर करते हुए लोगों को बड़ी कमीशन का ऑफर दिया। इसके बाद जितने लोग इनके जाल में फंसे थे उन सभी को राजस्थान में जोधपुर बुलाकर होटल में अच्छी व्यवस्था के साथ ठहराया। फिर फर्जी स्कीम दिखाकर उन लोगों की बैंक किट लेकर अपना गोरख धंधा शुरू कर दिया।

इस मामले में ग्रामीण इलाके के कई लोग पकड़ाए हैं जिन्होंने लालच और कमीशन के चक्कर में अपने अकाउंट की सारी डिटेल्स और दस्तावेज साइबर ठगों को दे दिए थे। अभी तक इन साइबर अपराधों के मास्टरमाइंड पुलिस पकड़ से बहुत दूर है।

मासिक इनकम का देते थे लालच।

यह साइबर ठग बैंक खाते किराये से लेने के नाम पर उन ग्रामीण और भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बनाते है जो बेरोजगारी या गरीबी में अपना जीवन बिताते हैं।

साइबर अपराध करने वाले यह ठग मासूम लोगो को मंथली इनकम देने के नाम पर उनके बैंक अकाउंट की पूरी जानकारी ले लेते हैं। इसके बाद इन बैंक अकाउंट पर इन ठगों का पूरा नियंत्रण होता है। किसी भी साइबर ठगी के बाद इन अकाउंट का उपयोग ट्रांजेक्शन के लिए होता है। जाँच में पता चला है कि इन साइबर अपराध के हैंडलर्स विदेश में बैठकर अपना गोरख धंधा चलाते हैं। देश के अंदर इन्होंने कई सारे कमीशन एजेंट नियुक्त कर रखे हैं जो इनके इशारों पर काम करते हैं।

न सिर्फ़ अलग-अलग राज्यों की पुलिस बल्कि सीबीआई भी देशभर में साइबर अपराध कि उन शाखों को पकड़ने का प्रयास कर रही है जो इस तरह के बैंक अकाउंट जिन्हें म्यूल अकाउंट भी बोला जाता है का उपयोग कर ठगी करती है।

सीबीआई के मुताबिक कई बैंक के कर्मचारियों भी इन अपराधों में शामिल हो सकते है। अब तक लगभग साढ़े आठ लाख म्यूल अकाउंट का खुलासा हुआ है।

क्या होता है Mule Account

ठगी के समय पीड़ित के एकाउंट से दूसरे बैंक खाते में पैसा डाला जाता है। यह खाते ठगों के नहीं होते। यह खाते उन लोगों के होते हैं जिनके खाते मंथली इनकम या नौकरी या किसी अन्य चीज का लालच देकर ले लिए जाते है। इन बैंक अकाउंट पर ठगों का पूरा नियंत्रण होता है।

कई मामले ऐसे भी होते हैं जहां पर बेरोजगार लोगों को नौकरी के नाम पर उनके सारे दस्तावेज लेकर उनके नाम पर बैंक अकाउंट खोल दिए जाते हैं। जिन लोगो के नाम पर अकाउंट होते हैं उन्हें इस बारे में कुछ भी जानकारी नहीं होती कि इन अकाउंट के साथ क्या हो रहा है।

साइबर अपराधी सारे ट्रांजैक्शन इन्ही अकाउंट से करते हैं। इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर अकाउंट न्यू अकाउंट ही होते हैं जिसे इसी तरीके से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खोला जाता है। एक बार बैंकिंग सिस्टम में आने के बाद यह बैंक अकाउंट समान्य अकाउंट की तरह ही काम करते हैं।

8.5 लाख से ज्यादा म्यूल अकाउंट मौजूद।

पिछले कुछ दिनों में सीबीआई ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और राजस्थान में लगभग 40 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापे के दौरान सीबीआई को इलेक्ट्रॉनिक सबूत के नाम पर मोबाइल, लैपटॉप, केवाईसी से जुड़े डॉक्यूमेंट और खातों में लेनदेन से जुड़े दस्तावेज के सबूत प्राप्त हुए थे।

यह बैंक खाते बिना केवाईसी और कई सारे बैंक के मापदंडों को नजरअंदाज कर खोले गए थे। म्यूल खातो को ऑपरेट और खोलने की साजिश में बैंक से जुड़े कई अजेंटो, दलालों और अधिकारियों की भूमिका की बात भी सामने आ रही है। अभी तक पूरे देश में 743 बैंक शाखाओं में 8.5 लाख म्यूल एकाउंट्स का पता चला है।

विदेश में बैठे हैंडलर करवाते हैं काम।

साइबर एक्सपर्ट के अनुसार इन साइबर अपराधों के हैंडलर्स भारत से बाहर विदेशों में बैठकर इस धंधे को चलाते हैं। भारत के अलग-अलग राज्यों में वह अपने कमीशन एजेंट नियुक्त कर देते हैं फिर यह कमीशन एजेंट गरीब और बेरोजगार लोगों को मंथली इनकम, नौकरी और अन्य लालच देकर उनके दस्तावेज ले लेते हैं।

इन दस्तावेजों का इस्तेमाल कर फर्जी सिम भी ली जाती है और फिर इस फर्जी सिम का और उन दस्तावेजों का इस्तेमाल कर बैंक अकाउंट खोले जाते हैं।

यह फाइनेंशियल फ्रॉड का धंधा दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार, गुजरात, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में फैला हुआ है और ज्यादातर इनका शिकार गरीब लोग ही होते हैं जिन्हें इस तरह के अपराधों की जानकारी नहीं होती ।

ऐसे म्यूल अकाउंट का पता लगाना बड़ा मुश्किल होता है क्योंकि यह सामान्य तरीके से ही काम करते हैं इसलिए साइबर अपराधी इनका इस्तेमाल करते हैं।

अपराधों को रोकने के लिए वित्त मंत्रालय ने इन Mule Account को बड़ा खतरा माना है और बैंकों को इन Mule Account की पहचान करने के लिए Mulehunder.ai के साथ काम करने को भी कहा है।

Mulehunter.ai के अंदर कई एडवांस फीचर उपलब्ध है जिससे न सिर्फ फर्जी अकाउंट का पता चलेगा बल्कि कई सारे साइबर अपराध को रोकने में मदद मिलेगी।

क्या है Mule hunter.ai

Mule hunter.ai एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जिसे भारत के अंदर म्यूल अकाउंट को पहचान करने की समस्या को खत्म करने के लिए विकसित किया गया है। इस AI मॉडल की मदद से तेजी से उन अकाउंट की पहचान होगी जिनके अंदर संदिग्ध गतिविधियां होती हैं।

लालच में आकर कभी न फंसे।

म्यूल अकाउंट और म्यूल सिम एक बहुत बड़ा हथियार है जिसका इस्तेमाल करने से अपराधीयो को बड़ी आसानी होती है। ऐसे म्यूल एकाउंट को खोलने के लिए अपराधी या तो ओरिजिनल दस्तावेजों का इस्तेमाल करते हैं या फिर फर्जी तरीके से हासिल दस्तावेजों का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए बहुत जरूरी है कि किसी भी व्यक्ति को अपने जरूरी दस्तावेज ना दें।

अगर आपके मोबाइल नंबर पर किसी भी बैंकिंग गतिविधियों को लेकर मैसेज आता है जिसे आपने नहीं किया है तो उसे नजरअंदाज ना करें। इसकी जानकारी तुरंत बैंक को दें और अगर आप किसी साइबर अपराध के शिकार बन जाते हैं तो जल्द से जल्द इस वेबसाइट National Cyber Crime Reporting Portal पर अपराध की जानकारी दर्ज कराए।

किसी भी तरह के लालच में न फंसे। जब भी कोई व्यक्ति आपसे ज्यादा अच्छे रिटर्न की बात करें, बिना किसी बड़े काम के बिना मासिक आय की बात करें या अन्य किसी तरह का लालच दे तो सावधान हो जाए। यह ऐसा ही कोई जाल हो सकता है जिसमें आप फस सकते हैं।

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By Mayank Dubey

मयंक एक बहुआयामी लेखक, विचारशील कंटेंट क्रिएटर और युवा विचारक हैं एवं "मन की कलम" नामक हिंदी कविता संग्रह के प्रकाशित लेखक हैं। वे धर्म, भारतीय संस्कृति, भू-राजनीति और अध्यात्म जैसे विषयों में भी लिखते है। अपने यूट्यूब चैनल और डिजिटल माध्यमों के ज़रिए वे समय-समय पर समाज, सनातन संस्कृति और आत्मविकास से जुड़े विचार प्रस्तुत करते हैं।

One thought on “लालच में न हो जाये साइबर अपराध का शिकार।”

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